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Cyber Attack: साइबर क्राइम की रिपोर्ट करना हुआ आसान, ‘संदिग्ध खोज’ से घर बैठे जानें अज्ञात वेबसाइट व मोबाइल नंबर

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नई दिल्ली: साइबर अपराध के बारे में उपयोगकर्ताओं को सूचित करने और सचेत करने के लिए एक मोबाइल एप अर्थात साइबर दोस्त की शुरुआत की गई है। यह देश भर में साइबर अपराध की रिपोर्ट करना आसान बनाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों के मुकाबले के लिए नागरिकों को एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म मुहैया कराने की योजना बनाई है। उस योजना पर काम भी शुरु हो गया है। इसके अलावा गहन प्रशिक्षण के साथ उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडो’ की विशेष विंग का सृजन भी किया गया है। प्रशिक्षित साइबर कमांडो, डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाने के लिए साइबर पेट्रोलिंग में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे। विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में साइबर हमलों के मामले में कमांडो सबसे पहले कार्रवाई करेंगे। साइबर अपराध के बारे में उपयोगकर्ताओं को सूचित करने और सचेत करने के लिए एक मोबाइल एप अर्थात साइबर दोस्त की शुरुआत की गई है। यह देश भर में साइबर अपराध की रिपोर्ट करना आसान बनाएगा। अपनी ‘संदिग्ध खोज’ सुविधा के माध्यम से, यह ऐप नागरिकों को संदिग्ध मोबाइल नंबर, वेबसाइटों और साइबर धोखेबाजों से जुड़े अन्य आइडेंटिफायर खोजने के अवसर भी प्रदान करेगा। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों से निपटने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और सीपीओ में प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडों’ का एक विशेष विंग स्थापित किया गया है। पांच साल की अवधि में 5,000 साइबर कमांडो को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन कमांडो की तैनाती इस तरह से होगी, ताकि इनकी सेवाओं का इस्तेमाल लंबे समय तक उठाया जा सके। प्रशिक्षित साइबर कमांडो डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाने के लिए साइबर पेट्रोलिंग में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे। विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में साइबर हमलों के मामले में कमांडो सबसे पहले कार्रवाई करेंगे।

इस बाबत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए), हैदराबाद में 2 सितंबर 2024 से शुरू हो गया है। अन्य संस्थानों आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) गुजरात, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) गोवा, गांधीनगर और बाकी संस्थानों में सितंबर-अक्तूबर 2024 से प्रशिक्षण शुरू होगा। साइबर अपराध के बारे में उपयोगकर्ताओं को सूचित करने और सचेत करने के लिए एक मोबाइल ऐप अर्थात साइबर दोस्त की शुरुआत की गई है। साइबर अपराध शिकायतों की रिपोर्ट करने हेतु नागरिकों को एक सुविधाजनक माध्यम प्रदान करेगा। यह राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर साइबर अपराध की रिपोर्टिंग के लिए मौजूदा माध्यम के अतिरिक्त होगा। यह ऐप साइबर अपराध की रिपोर्ट करना आसान बनाएगा। 

अपनी ‘संदिग्ध खोज’ सुविधा के माध्यम से, यह नागरिकों को संदिग्ध मोबाइल नंबर, वेबसाइटों और साइबर धोखेबाजों से जुड़े अन्य आइडेंटिफायर खोजने के अवसर भी प्रदान करेगा। ‘संदिग्ध की रिपोर्ट’ सुविधा के माध्यम से, यह ऐप नागरिकों को मोबाइल नंबर, यूआरएल, टेलीग्राम हैंडल, एसएमएस हेडर आदि जैसे संदिग्ध आइडेंटिफायर की रिपोर्ट करने का अवसर भी प्रदान करेगा ताकि आई4सी (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) आगे उसका विश्लेषण और कार्रवाई कर सके। बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के साथ अत्याधुनिक साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र की (सीएफएमसी) I4सी में स्थापना की गई है। प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी बिचौलियों और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ I4C में स्थापित साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (सीएफएमसी) ऑनलाइन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग का काम करेगा। सीएफएमसी कानून प्रवर्तन में ‘सहकारी संघवाद’ के एक उदाहरण के रूप में काम करेगा।  

सीएफएमसी एक ही स्थान से काम करने वाले सभी महत्वपूर्ण हितधारकों की मदद से लगभग वास्तविक समय में प्रमुख साइबर वित्तीय धोखाधड़ी शिकायतों से निपटने में मदद करेगा। सीएफएमसी तत्काल कार्रवाई वाले मुद्दों के बारे में सचेत करता है। सीएफएमसी के प्रतिभागियों के निष्पादन को मॉनिटर करता है। इसके अलावा मोबाइल नंबरों, यूआरएल/वेबसाइट, आईएमईआई और अन्य आइडेंटिफायर का एक सस्पेक्ट रिपॉजिटरी लॉन्च किया गया है। वित्तीय इकोसिस्टम की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से एनसीआरपी के आधार पर विभिन्न आइडेंटिफायर की एक संदिग्ध रजिस्ट्री बनाई गई है। यह बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य हितधारकों को ऑन-बोर्डिंग और लेनदेन निगरानी से पहले अपने ग्राहकों की साख को सत्यापित करने में मदद करेगा।  यह सभी प्रतिभागी इकाइयों की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करेगा। 

बैंकिंग प्रणाली को धोखाधड़ी के खिलाफ ज्यादा मजबूत बनाएगा। राज्य/संघराज्य क्षेत्र के एलईए सहित साइबर अपराध से निपटने वाले सभी हितधारकों के लिए जेएमआईएस (संयुक्त साइबर अपराध समन्वय टीम प्रबंधन सूचना प्रणाली) या ‘समन्वय’ प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया है। देश भर में एलईए के लिए साइबर अपराध के डेटा रिपॉजिटरी, डेटा शेयरिंग, क्राइम मैपिंग, डेटा एनालिटिक्स, सहयोग और समन्वय मंच के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करने के लिए समन्वय प्लेटफॉर्म नामक एक वेब-आधारित मॉड्यूल तैयार किया गया है। इसके जरिए एक वन स्टॉप पोर्टल के रूप में वेब-आधारित मॉड्यूल समन्वय हो सकेगा। साइबर क्राइम डेटा शेयरिंग और एनालिटिक्स के लिए एलईए हेतु एक एमआईएस, डेटा रिपॉजिटरी और एक समन्वय मंच के रूप में करने के लिए इस्तेमाल होगा।

मोबाइल/आईएमईआई नंबर, बैंक खाते और अन्य के अंतर-राज्य लिंकेज का पता लगाया जा सकेगा। आपसी सहायता के लिए अन्य राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से अंतर-राज्य साइबर अपराध जांच सहायता अनुरोधों (सीआईएआर) को आगे बढ़ाया जा रहा है। देश भर के बैंकों से राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के एलईए द्वारा सीसीटीवी फुटेज और बैंकों से संबंधित जानकारी का अनुरोध करने के लिए इसका इस्तेमाल होगा। क्षेत्राधिकार वाले पुलिस अधिकारियों को स्पष्टता प्रदान के लिए पीएम गतिशक्ति का उपयोग करते हुए, साइबर अपराधियों के स्थानों, म्यूल बैंक खातों, एटीएम निकासी स्थानों, सिम कार्ड के लिए पीओएस, ‘प्रतिबिंब’ पर संदिग्ध आवासों को मैप करने में मदद मिलेगी। साइबर अपराध मामलों की जांच में विशेषज्ञ सलाह के लिए तकनीकी-कानूनी सहायता मॉड्यूल प्रदान की जाएगी। 

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